भारत में नशे की समस्या पहले से ही थी, लेकिन आज हमारे यंगस्टर्स में यह प्रोबलम बढ़ती ही जा रही है। एक अच्छा लाइफ स्टाइल और एक सही परवरिश आखिर कौन अपने बच्चों को नहीं देता है। माता-पिता बच्चों की खुशी के लिए, उनकी हर उस डिमांड को पूरा करते हैं। जब हम इंडिया जैसी एक सभ्य कंट्री में रहते हैं, तो यह कहना सही नहीं कि परिवार बच्चों को अपने संस्कार और मोरल वैल्यूज नहीं समझा पा रहे। आज हम अपने बच्चों को पूरी फ्रीडम देते हैं और उनके साथ एक फ्रेंडली बिहेवियर रखते हैं, लेकिन फिर भी पेरेंट्स को यह पता नहीं चलता कि कब उनकी आंख के नीचे, उनके बच्चे ड्रग्स के जाल में फंस गए। अगर भारत की बात की जाए, तो साल 2022 में UN की World Drug Report के अनुसार भारत के लोग दुनियाभर में सबसे ज्यादा अफीम का यूज करते हैं। नशा मुक्त भारत जैसे कई अवेयरनेस प्रोग्राम, ड्रग डी-एडिक्शन और ट्रीटमेंट सेंटर के बावजूद आखिर क्या कारण है, जो भारत में नशा बढ़ता जा रहा है।
भारत में, Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 के तहत, भांग की प्रोडक्शन, इसकी खेती करना, रखना, बेचना और खरीदना पूरी तरह से बैन है। NDPS Act, में 70 से ज्यादा ड्रग्ज को बैन किया गया है, जिसमें कैनबिस, कोकीन, हेरोइन, एलएसडी और अफीम जैसे कई ड्रग्ज शामिल हैं। लेकिन फिर भी अक्सर लाखों-करोड़ों की अफीम, कोकीन या दूसरे ड्रग्ज के पकड़े जाते हैं। कोई भी पेरेंट्स 24 घंटे अपने बच्चों के साथ नहीं रहते। यहां सवाल यह है कि हार्ड ड्रग्ज बैन हैं, लेकिन बावजूद इसके स्कूल या कॉलेज के कई स्टूडेंट ड्रग्स का यूज करते हैं। आखिरकार उन्हें यह मिलते कहां से हैं। क्या सोसायटी की जिम्मेदारी नहीं कि ऐसे illegal बिजनेस के बारे में पुलिस को इन्फॉर्म किया जाए। इन prohibited substance का खुलेआम मिलना, क्या सरकार का फेलियर नहीं है? स्कूल या कॉलेज हॉस्टल व कैंपस के अंदर अगर बच्चे ड्रग्स का यूज कर रहे हैं, तो क्या वो इंस्टीट्यूट इसके लिए जिम्मेदार नहीं? और नशे के बाद, अगर यूथ कोई क्राइम करता है, तो उसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन?
भारत में, बिहार, गुजरात, नागालैंड, मिजोरम और लक्षद्वीप में शराब बैन है, लेकिन बावजूद इसके वहां शराब मिल जाती है। हो सकता है कि इससे कुछ फायदा हुआ हो, लेकिन नुकसान भी हुआ है। बैन होने पर, या तो शराब illegal तरीके से खरीदी-बेची जाती है, रिजल्ट- क्रप्शन। या फिर लोग देशी शराब की प्रोडक्शन शुरू कर देते हैं, जो इतनी जहरीली भी हो सकती है कि कंज्यूम करने वाले की मौत हो जाए। हालांकि शराब सेहत के लिए हानिकारक है फिर भी लोग एंटरटेनमेंट, एंजॉयमेंट, पार्टीज या शौक के लिए शराब पीते हैं। ऐसे में भारत को नशा मुक्त बनाने के लिए शराब को बैन करना ही काफी नहीं है। लिकर की क्वालिटी को ध्यान में रखते हुए इसकी अवेलेबिलिटी, जहरीली शराब पीने से अच्छा है। आज हम माइक्रो फैमिली में रहते हैं। पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखते हैं। और एक उम्र के बाद जब बच्चे आजादी चाहते हैं, तो पेरेंट्स उन्हें पूरी फ्रीडम देते हैं, ताकि वो अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी सकें। बच्चे अपना ज्यादा समय घर से बाहर बिताते हैं, ऐसे में यूथ को नशे से दूर रखने की, सबसे बड़ी रिस्पांसिबिलिटी एजुकेशनल इंस्टीच्यूट्स और दूसरी ऑग्रेनाइजेशंज की है। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से मैं, सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि अगर आपके आसपास कहीं भी ड्रग्ज ट्रैफिकिंग का कोई इल्लीगल बिजनेस हो रहा हो, तो पुलिस को खबर करें। लकी हैं वो लोग, जिनका परिवार इस जहर से बचा हुआ है, लेकिन हमें पूरे भारत को इस नशे से बचाना है।